देवी जी सर्वप्रथम आपको मेरा नमन! मैं आज शब्दविहीन क्या कहूँ ? मानो हृदय का स्पन्दन रुक गया हैं एवं आत्मा स्थिर हो गयी हैं! बस आज इतना ही कहूँगा माँ शब्द मे तो पूरा ब्रहमाण्ड समाहित हैं! मैं तो पत्थर हूँ , मेरे माता-पिता शिल्पकार हैं !!
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देवी जी सर्वप्रथम आपको मेरा नमन! मैं आज शब्दविहीन क्या कहूँ ? मानो हृदय का स्पन्दन रुक गया हैं एवं आत्मा स्थिर हो गयी हैं! बस आज इतना ही कहूँगा माँ शब्द मे तो पूरा ब्रहमाण्ड समाहित हैं!
मैं तो पत्थर हूँ , मेरे माता-पिता शिल्पकार हैं !!