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आपकी रचना ने उस लम्हे का बोध कराया जब माँ चित्त के स्मरण पटल पर अंकित हैं पर उनका साया हमसे दूर है एकलव्य जी यह रचना मर्मस्पर्शी है ।

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4 Nov 2018 12:29 PM

जी प्रणाम,सर्वप्रथम आपको बहुत-बहुत धन्यवाद जो आपने मेरी रचना का वाचन किया।

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