आपकी रचना ने उस लम्हे का बोध कराया जब माँ चित्त के स्मरण पटल पर अंकित हैं पर उनका साया हमसे दूर है एकलव्य जी यह रचना मर्मस्पर्शी है ।
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जी प्रणाम,सर्वप्रथम आपको बहुत-बहुत धन्यवाद जो आपने मेरी रचना का वाचन किया।
आपकी रचना ने उस लम्हे का बोध कराया जब माँ चित्त के स्मरण पटल पर अंकित हैं पर उनका साया हमसे दूर है एकलव्य जी यह रचना मर्मस्पर्शी है ।