कृपया अंतिम शेर इस तरह पढ़ें
अपनों से से दूर कर न दे उनका मिज़ाज भी गलियों से अब जो गाँव की आँगन नए मिले.
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कृपया अंतिम शेर इस तरह पढ़ें
अपनों से से दूर कर न दे उनका मिज़ाज भी
गलियों से अब जो गाँव की आँगन नए मिले.