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सरलता की अद्भुत शक्ति का एहसास कराती रचना में माँ की विराट महिमा का ख़ूबसूरत ज़िक्र है।

शुभकामनाऐं।

VOTED.

टंकण सम्बन्धी त्रुटियों की ओर आपका ध्यान आकृष्ट करना चाहूँगा ताकि रचना में और अधिक निखार आ जाय –

1. इक़ = इक (नुक़्ता हटाइये)

2. दुनियां = दुनिया

3. बरक़त = बरकत

आप अच्छा लिखते हैं इसलिये मैंने ऐसी टिप्पणी लिखने की हिम्मत की है शायद आपको अच्छी लगे।

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आदरणीय दादा आपका हार्दिक आभार।

4 Nov 2018 11:16 AM

जी आपका बहुत बहुत धन्यवाद
आपने जिस ढंग से रचना को सराहा उसके लिए और आपके समर्थन के लिए तहेदिल से शुक्रयादा करता हूँ।
सुभेच्छा शुभकामनाएं!
?

4 Nov 2018 11:17 AM

जी आपके कीमती वोट के लिए सदैव आभारी रहेंगे।
?

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