पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
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30 Nov 2018 07:17 AM
पुनः जाँच करें आदरणीय????
?
अंत और आगाज वही है।
कण कण मे वह बसी हुयी है।
वेदपुराणों ने यश गाया।
ऋषि मुनियों ने इसको ध्याया ।
शब्द नहीं वाणी में मेरी।
कैसे माँ महिमा गान करूँ ?
है सम्पूर्ण शब्द माँ जग में।
व्यापी वह सम्पूर्ण जगत में।
(रागिनी गर्ग रामपुर यूपी )
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Competition Name: साहित्यपीडिया काव्य प्रतियोगिता- “माँ”
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आपका वोट नहीं मिला आदरणीय