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आपकी रचना पढ़ी बहुत ही सुन्दर लिखा है आपने परन्तु क्षमा करें एवं कुछ त्रुटि सुधार करें ! जैसे है को हैं करें,पूँज को पुँज करें ,( माँ की चरणों) यहाँ की के स्थान पर के होता तो बेहतर था , कृष्ण-सा लिखें ,इसे अन्यथा न लें ! मेरी अशेष शुभकामनाएं ,सादर ‘एकलव्य’

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आद. मित्र एकलव्य जी आपने जो सुझाव दिये हैं मैंनें उनपर गौर किया और सुधार भी… इस मार्गदर्शन के लिए हृदयतल से आभार आपका

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