संजीव शुक्ल 'सचिन'
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4 Nov 2018 08:06 AM
आद. मित्र एकलव्य जी आपने जो सुझाव दिये हैं मैंनें उनपर गौर किया और सुधार भी… इस मार्गदर्शन के लिए हृदयतल से आभार आपका
आपकी रचना पढ़ी बहुत ही सुन्दर लिखा है आपने परन्तु क्षमा करें एवं कुछ त्रुटि सुधार करें ! जैसे है को हैं करें,पूँज को पुँज करें ,( माँ की चरणों) यहाँ की के स्थान पर के होता तो बेहतर था , कृष्ण-सा लिखें ,इसे अन्यथा न लें ! मेरी अशेष शुभकामनाएं ,सादर ‘एकलव्य’