प्रथम दोहे में हुई त्रुटि के लिए मैं क्षमाप्रार्थी हूँ. कृपया उसे नीचे लिखे अनुसार पढ़ें. सादर आभार.
मिट्टी के खपरैल घर , संजोये हैं गाँव | चर्र-चर्र वह खाट औ, घने नीम की छाँव ||
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प्रथम दोहे में हुई त्रुटि के लिए मैं क्षमाप्रार्थी हूँ. कृपया उसे नीचे लिखे अनुसार पढ़ें. सादर आभार.
मिट्टी के खपरैल घर , संजोये हैं गाँव |
चर्र-चर्र वह खाट औ, घने नीम की छाँव ||