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In reply to NS
26 Nov 2018 05:40 PM

यह कैसी प्रतियोगिता महाशया ,
हम भोट वोट के चक्कर में पड़े हैं और उधर श्रेष्ठता की परिभाषा ही बदल रही है |साहित्य की दिशा बदल रही है | यहाँ ज्यादा वोट लेकर कोई भी अपनी श्रेष्ठता स्थापित कर सकता है | इस प्रतियोगिता में पंत, प्रसाद, निराला आदि कवियों की कालजयी रचनाएँ भी पिछड़ जाए, इसमें कोई संदेह नहीं | उनको भी श्रेष्ठता सिद्ध करने के लिए वोट मांगना पड़े | श्रेष्ठता के नए मानदंड स्थापित करने के लिए साहित्य पीडिया को सलाम |

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