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25 Nov 2018 07:57 PM

मुकेशजी,
आपकी कविता बहुत ही सुन्दर है एवं भाव व्यापकत्व के इर्द गिर्द घूम रहे हैं जिसमे हम सबों को कभी न कभी विलीन होना है | साहित्य पीडिया को यह बात समझनी चाहिए | माँ के व्यक्तित्व की विशालता को वोटो की संख्या से मापना ठीक नहीं | इससे उच्च कोटि के साहित्य की उपेक्षा होगी |

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29 Nov 2018 02:45 PM

बिलकुल सही, वोट साहित्य की कसौटी नहीं हो सकती।

11 Feb 2021 10:52 PM

सत्य

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