Mukesh Kumar Badgaiyan
Author
29 Nov 2018 02:45 PM
बिलकुल सही, वोट साहित्य की कसौटी नहीं हो सकती।
Mukesh Kumar Badgaiyan
Author
11 Feb 2021 10:52 PM
सत्य
मुकेशजी,
आपकी कविता बहुत ही सुन्दर है एवं भाव व्यापकत्व के इर्द गिर्द घूम रहे हैं जिसमे हम सबों को कभी न कभी विलीन होना है | साहित्य पीडिया को यह बात समझनी चाहिए | माँ के व्यक्तित्व की विशालता को वोटो की संख्या से मापना ठीक नहीं | इससे उच्च कोटि के साहित्य की उपेक्षा होगी |