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अच्छी ग़ज़ल हुई है।
मतला और मक़्ता दोनों लाज़वाब हैं।
5वे मिसरे की बहर चेक कर लें, लय में कुछ बाधा आ रही है।
मुबारकबाद।

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10 Dec 2018 07:20 PM

जी शुक्रिया

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