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प्रकृत की माँ धन-वैभव,उससे ही सब पाया हूँ

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वाह बहुत सुंदर पंक्ति, आपकी इस सहभागिता के लिए आपका बहुत-बहुत आभार एवं बहुत-बहुत धन्यवाद

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