Dr Archana Gupta
Author
22 Oct 2018 10:22 PM
शुक्रिया अशोक जी
दिल था हमारा काँच सा नाज़ुक यूँ कम नहीं
टूटे से फिर जुड़ा नहीं कण कण बिखर गये ………वाह ! बहुत खूब.