कहीं बंद किवाड़ों में भी आरज़ू सिसकती होगी। अपने अरमानों को पूरा करने को तरसती होगी।–क्या बात है,,,,,,,,,,,
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कहीं बंद किवाड़ों में भी आरज़ू सिसकती होगी।
अपने अरमानों को पूरा करने को तरसती होगी।–क्या बात है,,,,,,,,,,,