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8 Jul 2016 01:11 PM

वाह्ह्ह्ह्ह्ह् बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल ।
झुठी बात ……क्या बात है
सबके दुख जो खुद ……वाह्ह्ह् वाह्ह्ह्ह् गज़ब शेर

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8 Jul 2016 01:23 PM

आदरणीया ,सराहना के लिए और इस पटल से परिचय करवाने के लिए ह्रदय से आभार

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