Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings

नोटबंदी के कुछ तात्कालिक असर बयां करने में आप सफल रहे हैं। लेकिन 5-6वे शे’रों में “अपवाद” को क्यों “नियम” मान लिया – समझ से परे है। मैं अपने अनुभव से कह सकता हूँ, किसी भी और मशीनरी पर यह अगर जिम्मेदारी होती तो आज “कुछ और” दृश्य होता। इस मुद्दे पर आप भटक गए लगते है। प्रार्थना करता हूँ, अपने बनाए प्रतिमान से नीचे न आएं।

You must be logged in to post comments.

Login Create Account

धन्यवाद मित्रवर ।

Loading...