ईश्वर दयाल गोस्वामी
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25 Dec 2016 09:22 PM
धन्यवाद मित्रवर ।
नोटबंदी के कुछ तात्कालिक असर बयां करने में आप सफल रहे हैं। लेकिन 5-6वे शे’रों में “अपवाद” को क्यों “नियम” मान लिया – समझ से परे है। मैं अपने अनुभव से कह सकता हूँ, किसी भी और मशीनरी पर यह अगर जिम्मेदारी होती तो आज “कुछ और” दृश्य होता। इस मुद्दे पर आप भटक गए लगते है। प्रार्थना करता हूँ, अपने बनाए प्रतिमान से नीचे न आएं।