तारीफ़ क्या करूँ, नही कर सकता इसकी निंदा, मन पर बोझ माथे पर कलंक, माफ़ करो, बस हम.. शर्मिंदा,शर्मिंदा और शर्मिंदा l
You must be logged in to post comments.
तारीफ़ क्या करूँ,
नही कर सकता इसकी निंदा,
मन पर बोझ माथे पर कलंक,
माफ़ करो, बस हम..
शर्मिंदा,शर्मिंदा और शर्मिंदा l