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17 Dec 2016 10:58 AM

तारीफ़ क्या करूँ,
नही कर सकता इसकी निंदा,
मन पर बोझ माथे पर कलंक,
माफ़ करो, बस हम..
शर्मिंदा,शर्मिंदा और शर्मिंदा l

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