साहित्यकार ऐसे ही होते है, अपनी राह में चलते हुए जमीन की धूल से लेकर ब्रह्माण्ड की गतिविधियों को स्याही बनाकर शब्दों में पिरोते है… वाह बहुत ही बेहतरीन…….
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साहित्यकार ऐसे ही होते है, अपनी राह में चलते हुए जमीन की धूल से लेकर ब्रह्माण्ड की गतिविधियों को स्याही बनाकर शब्दों में पिरोते है… वाह
बहुत ही बेहतरीन…….