Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings

वर्तमान में दर्शनशास्त्र विषय तो खत्म ही हो गया है। जब तक इस विषय को नौकरी से नहीं जोडा जाएगा। इसकी हालात तो इसी प्रकार से खराब होती रहेगी। विद्यार्थी इसे क्यों पढे? इसमें कोई भविष्य ही नहीं है।

You must be logged in to post comments.

Login Create Account
Loading...