कोई हमेशा धार्मिकता,अपने पंथ,ईश्वर का गुणगान,आदि आदि में रचनाएं करता है किंतु मैं जी गंभीरता से सोचता हूं तो अहसास होता है की अपने लक्ष्य को पा लेना उन सब से ऊपर है। और ये गंभीरता आपकी लेखनी सिखाती है………..
You must be logged in to post comments.
कोई हमेशा धार्मिकता,अपने पंथ,ईश्वर का गुणगान,आदि आदि में रचनाएं करता है
किंतु मैं जी गंभीरता से सोचता हूं तो अहसास होता है की अपने लक्ष्य को पा लेना उन सब से ऊपर है।
और ये गंभीरता आपकी लेखनी सिखाती है………..