आपकी हर कहानियां जीवंत होती है। समाज की विसंगतियों पर प्रहार तो किया ही जाता है,साथ उन विसंगतियों को दूर किए जाने की टीस उस पात्र के जैसा जमीनी धरातल में मानुष होंगे तो भर दिया जाता है,जिससे देर सही अपनी कमियों का अहसास होने के बाद मिलन की टीस पैदा कर जाती है।
आपकी हर कहानियां जीवंत होती है। समाज की विसंगतियों पर प्रहार तो किया ही जाता है,साथ उन विसंगतियों को दूर किए जाने की टीस उस पात्र के जैसा जमीनी धरातल में मानुष होंगे तो भर दिया जाता है,जिससे देर सही अपनी कमियों का अहसास होने के बाद मिलन की टीस पैदा कर जाती है।