श्री खुराना जी, कवि के पास कल्पना के अलावा है भी क्या।वह तो केवल कल्पना के सहारे जीता और उसी के माध्यम से अपने भाव प्रगट करता है और उनको कविता का रूप दे देता है।
श्री खुराना जी, कवि के पास कल्पना के अलावा है भी क्या।वह तो केवल कल्पना के सहारे जीता और उसी के माध्यम से अपने भाव प्रगट करता है और उनको कविता का रूप दे देता है।