समय को प्रभावित करने वाले कारकों में गति प्रमुख है। यदि हम गति को तीव्र कर दें तो समय धीमा पड़ सकता है। इसके उदाहरण स्वरूप हम कल्पना करें कि जेट विमान में सवार होकर पृथ्वी का चक्कर लगाते हैं , तो हमारा समय कम लगेगा।
दूसरी ओर यदि हम पृथ्वी का चक्कर किसी अन्य सामान्य विमान से लगाते हैं तो समय अधिक लगेगा। यहां यह समझने योग्य है कि कम समय से तात्पर्य एक निर्धारित अवधि में व्यतीत समय से है , जो किसी अवधि को छोटा बनाते हैं। ना कि किसी दूरी को तय किए कुल समय की गणना से है।
समय के अन्य कारक पृथ्वी धरातल की संरचना एवं आकाश परिवहन मार्ग की बाधाएं हैं।
पृथ्वी का धरातल वक्राकार होने से धरातल मार्ग से यात्रा करने पर अधिक समय व्यतीत होता है, जिसके विपरीत आकाश मार्ग सीधा होने से यात्रा में कम समय लगता है।
यह तथ्य यह भी स्पष्ट करता है कि पृथ्वी गोलाकार रूप लिए हुए हैं , एवं आकाश मार्ग सीधी रेखा में होने के कारण कम समय में तय किया जाता है।
इन सभी तथ्यों से हम यह सिद्ध कर सकते हैं कि समय को पृथ्वी की कक्षा से बाहर जाकर धीमा किया जा सकता है एवं लौटकर भविष्य में यात्रा की जा सकती है।
समय को प्रभावित करने वाले कारकों में गति प्रमुख है। यदि हम गति को तीव्र कर दें तो समय धीमा पड़ सकता है। इसके उदाहरण स्वरूप हम कल्पना करें कि जेट विमान में सवार होकर पृथ्वी का चक्कर लगाते हैं , तो हमारा समय कम लगेगा।
दूसरी ओर यदि हम पृथ्वी का चक्कर किसी अन्य सामान्य विमान से लगाते हैं तो समय अधिक लगेगा। यहां यह समझने योग्य है कि कम समय से तात्पर्य एक निर्धारित अवधि में व्यतीत समय से है , जो किसी अवधि को छोटा बनाते हैं। ना कि किसी दूरी को तय किए कुल समय की गणना से है।
समय के अन्य कारक पृथ्वी धरातल की संरचना एवं आकाश परिवहन मार्ग की बाधाएं हैं।
पृथ्वी का धरातल वक्राकार होने से धरातल मार्ग से यात्रा करने पर अधिक समय व्यतीत होता है, जिसके विपरीत आकाश मार्ग सीधा होने से यात्रा में कम समय लगता है।
यह तथ्य यह भी स्पष्ट करता है कि पृथ्वी गोलाकार रूप लिए हुए हैं , एवं आकाश मार्ग सीधी रेखा में होने के कारण कम समय में तय किया जाता है।
इन सभी तथ्यों से हम यह सिद्ध कर सकते हैं कि समय को पृथ्वी की कक्षा से बाहर जाकर धीमा किया जा सकता है एवं लौटकर भविष्य में यात्रा की जा सकती है।