समय यात्रा की संभावना पर विचार करने पर हमें यह प्रतीत होता है की भविष्य की यात्रा संभव है परंतु इसके विपरीत अतीत में यात्रा करना सर्वथा असंभव परिकल्पना है।
इस कथन पर विचार करने से पहले हमें समय की परिभाषा जानना आवश्यक है।
समय परिमाण सापेक्षता के सिद्धांत पर आधारित है। पृथ्वी पर समय की गणना पृथ्वी के अपनी धुरी पर घूमने एवं सूर्य का चक्कर लगाने के लिए व्यतीत समय के आधार पर की जाती है। जो प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से विभिन्न कारकों जैसे विभिन्न ग्रहों के गुरुत्वाकर्षण शक्ति के परिवर्तन से पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्ति मे होने वाले प्रभाव एवं पृथ्वी तल पर समय-समय पर भूकंप एवं प्राकृतिक आपदाओं के फलस्वरूप गुरुत्वाकर्षण शक्ति मे आने वाले परिवर्तन पर निर्भर करता है।
समय यात्रा की संभावना पर विचार करने पर हमें यह प्रतीत होता है की भविष्य की यात्रा संभव है परंतु इसके विपरीत अतीत में यात्रा करना सर्वथा असंभव परिकल्पना है।
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समय परिमाण सापेक्षता के सिद्धांत पर आधारित है। पृथ्वी पर समय की गणना पृथ्वी के अपनी धुरी पर घूमने एवं सूर्य का चक्कर लगाने के लिए व्यतीत समय के आधार पर की जाती है। जो प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से विभिन्न कारकों जैसे विभिन्न ग्रहों के गुरुत्वाकर्षण शक्ति के परिवर्तन से पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्ति मे होने वाले प्रभाव एवं पृथ्वी तल पर समय-समय पर भूकंप एवं प्राकृतिक आपदाओं के फलस्वरूप गुरुत्वाकर्षण शक्ति मे आने वाले परिवर्तन पर निर्भर करता है।