समय यात्रा की संभावना पर विचार करने पर हमें यह प्रतीत होता है की भविष्य की यात्रा संभव है परंतु इसके विपरीत अतीत में यात्रा करना सर्वथा असंभव परिकल्पना है।
इस कथन पर विचार करने से पहले हमें समय की परिभाषा जानना आवश्यक है।
समय परिमाण सापेक्षता के सिद्धांत पर आधारित है। पृथ्वी पर समय की गणना पृथ्वी के अपनी धुरी पर घूमने एवं सूर्य का चक्कर लगाने के लिए व्यतीत समय के आधार पर की जाती है। जो प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से विभिन्न कारकों जैसे विभिन्न ग्रहों के गुरुत्वाकर्षण शक्ति के परिवर्तन से पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्ति मे होने वाले प्रभाव एवं पृथ्वी तल पर समय-समय पर भूकंप एवं प्राकृतिक आपदाओं के फलस्वरूप गुरुत्वाकर्षण शक्ति मे आने वाले परिवर्तन पर निर्भर करता है।
पृथ्वी पर समय की गणना एवं अंतरिक्ष एवं अन्य ग्रहों में समय की गणना में भिन्नता पायी जाएगी, जो उनके सापेक्ष कारको पर निर्भर होगी।
इसे सरलता से समझने के लिए एक उदाहरण स्वरूप हम कल्पना करें कि हम अपनी पृथ्वी के समय पर आधारित घड़ी लेकर अंतरिक्ष में यात्रा करते हैं एवं उसके आधार पर अंतरिक्ष एवं अन्य किसी ग्रह मे समय व्यतीत कर
पृथ्वी पर वापस लौट कर आऐं तो हमें विदित होगा कि हमारा पृथ्वी का समय हमारी घड़ी से बहुत आगे निकल चुका है। जिसका तात्पर्य यह है कि कि हमारा पृथ्वी पर आधारित घड़ी का समय अंतरिक्ष एवं अन्य ग्रह में जाने से धीमा पड़ गया था जो पृथ्वी में आने पर पृथ्वी की घड़ियों से भिन्न हो गया तथा पृथ्वी पर आधारित समय हमारे अंतरिक्ष एवं अन्य ग्रह पर व्यतीत समय से आगे निकल चुका है।
समय को प्रभावित करने वाले कारकों में गति प्रमुख है। यदि हम गति को तीव्र कर दें तो समय धीमा पड़ सकता है। इसके उदाहरण स्वरूप हम कल्पना करें कि जेट विमान में सवार होकर पृथ्वी का चक्कर लगाते हैं , तो हमारा समय कम लगेगा।
दूसरी ओर यदि हम पृथ्वी का चक्कर किसी अन्य सामान्य विमान से लगाते हैं तो समय अधिक लगेगा। यहां यह समझने योग्य है कि कम समय से तात्पर्य एक निर्धारित अवधि में व्यतीत समय से है , जो किसी अवधि को छोटा बनाते हैं। ना कि किसी दूरी को तय किए कुल समय की गणना से है।
समय के अन्य कारक पृथ्वी धरातल की संरचना एवं आकाश परिवहन मार्ग की बाधाएं हैं।
पृथ्वी का धरातल वक्राकार होने से धरातल मार्ग से यात्रा करने पर अधिक समय व्यतीत होता है, जिसके विपरीत आकाश मार्ग सीधा होने से यात्रा में कम समय लगता है।
यह तथ्य यह भी स्पष्ट करता है कि पृथ्वी गोलाकार रूप लिए हुए हैं , एवं आकाश मार्ग सीधी रेखा में होने के कारण कम समय में तय किया जाता है।
इन सभी तथ्यों से हम यह सिद्ध कर सकते हैं कि समय को पृथ्वी की कक्षा से बाहर जाकर धीमा किया जा सकता है एवं लौटकर भविष्य में यात्रा की जा सकती है।
आशा है , विवेचना आपकी जिज्ञासा पूर्ति में सहायक होगी। इस विषय में अन्य कोई शंका हो तो प्रस्तुत करें !
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धन्यवाद जी
संक्षेप में समझाइए क्या समय यात्रा संभव है ?