सिर्फ सुनी सुनाई मनगढ़ंत बातों पर आधारित कविता, क्षमा चाहूँगा आज से तो वो आपातकाल ही बेहतर था jail तो हो जाती थी पर गोली नहीं मारी जाती थी, संवैधानिक संस्थाओं पर पहरे नहीं थे, हाँ प्रेस की आजादी छीन लेना गलत था
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सिर्फ सुनी सुनाई मनगढ़ंत बातों पर आधारित कविता, क्षमा चाहूँगा आज से तो वो आपातकाल ही बेहतर था jail तो हो जाती थी पर गोली नहीं मारी जाती थी, संवैधानिक संस्थाओं पर पहरे नहीं थे, हाँ प्रेस की आजादी छीन लेना गलत था