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स्वीकार हैं ।
परन्तु क्या हमे समाज को जागरूक और जागृत करने का कोई हक नही होना चाहिए।
कवि तो अपने मनोभाव लिखते है समाज को सदियो से जागृत करते आये है और करते रहेंगे।
धन्यवाद

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