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बहुत ही सुन्दर रचना है, हमारे क्षेत्र में पर्यावरण दिवस के दिन नेता जी आए शिलालेख में नाम भी लिखवाए, कुछ सौ के लगभग पौधा भी लगवाए हजार फोटो भी खिंचवाए। कुछ दिनों बाद सिर्फ शिलालेख ही दिख रहा है पौधे बिन पानी के भगवान को प्यारे हो गए।

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यही तो सत्य है , हर नेता, अपनी तस्वीर खिचवा कर शिलापट्ट सहित दुनिआ को दिखाना है, कि हम ने भी पेड़ लगाया है , असलियत क्या है, वो जनता जानते हुए भी फिर उस को अपना नेता चुन लेती है, वो तो केवल दुनिआ को बताने के लिए पेड़ लगाते है, कौन सा उन्होंने वहां पर आकर पानी , खाद देना है, बाकी पेड़ लगाने की समझ तो इंसान के अंदर होनी चाहिए, न कि कोई आपको बताये तब ही पेड़ लगाया जाए, यह तो हम लोग को खुद ही सोचना है !!

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