खात और कलम मे तो देश आजाद ही है मानुष की मनिष्कता आजाद नही हो पाया है । उत्तम कविता।
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खात और कलम मे तो देश आजाद ही है मानुष की मनिष्कता आजाद नही हो पाया है । उत्तम कविता।