अमोल आश्चर्य में भी था और ग्लानि में भी। आश्चर्य इसलिए कि इतने दिन हो गए और अचानक ही विष्णु ने उसे फोन कर दिया और ग्लानि इसलिए कि उसने तो आजतक भी कभी अपने दोस्तों कि खोज-खबर नहीं ली।
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अमोल आश्चर्य में भी था और ग्लानि में भी। आश्चर्य इसलिए कि इतने दिन हो गए और अचानक ही विष्णु ने उसे फोन कर दिया और ग्लानि इसलिए कि उसने तो आजतक भी कभी अपने दोस्तों कि खोज-खबर नहीं ली।