इज्ज़त लुटे न बहन की, सौगंध जिसने खाई है, उस बहन रुपी वतन का भाई जांबाज़ एक सिपाही है ।
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इज्ज़त लुटे न बहन की,
सौगंध जिसने खाई है,
उस बहन रुपी वतन का भाई
जांबाज़ एक सिपाही है ।