Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings

यह संसार क्यों चलता है?
जिनके लिए दुनिया चलती है।

ज्ञान अज्ञानता में सरपट दौड़ता है।

सच से दूर और झूठ की तरफ।
न्याय को तोड़ना और अन्याय की ओर
यह दुनिया बहुत तेज दौड़ती है।

अच्छाई और इंसानियत को दफन कर देता है और मूर्खों की तरह भागता है।

प्यार के पीछे पैसा दौड़ता है।

पैसा अन्याय, झूठ, ईर्ष्या और घमंड का स्रोत है, जो बहुत तेजी से चलता है।

दुनिया इस भ्रम में चलती है कि मैं सब कुछ जानता हूं, कि मैं ही सत्य हूं।

मुझे नहीं पता कि यह क्यों चलता है।
पता नहीं किसके लिए दौड़ना है।

दौड़ना, दौड़ना और थकना और पीछे मुड़कर देखना सब व्यर्थ है।

अंत में कुछ नहीं रहता।

Loading...