डाॅ. बिपिन पाण्डेय
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6 Jan 2023 09:21 AM
बहुत खूब
बहुत खूब
रोला दोहा मिल बनें, कुण्डलिया आनंद।
रखिये मात्राभार सम, ग्यारह तेरह बंद।।
ग्यारह तेरह बंद, अंत में गुरु ही आये।
अति मनभावन शिल्प, शब्द संयोजन भाये।।
कहे ‘अमित’ कविराज, छंद यह मनहर भोला।
कुण्डलिया का सार, एक दोहा अरु रोला।।
कन्हैया साहू ‘अमित’