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बहुत ही सुंदर समीक्षा है। ये भाव भगवान दास छात्रस्वास में रहकर ही आ सकते हैं। मुझे भी सन् 2000-04 ई० तक में रहने का सुअवसर प्राप्त हुआ। गांँधीजी का ट्रस्टीशिप विचार वाकई महत्वपूर्ण है। इसे तो संविधान में अंगीकृत करना चाहिए।
आपके द्वारा किए कार्य वाकई महत्वपूर्ण हैं, सर। आपकी पुस्तक पढ़ और ज्ञानवर्धन होगा 🙏🙏

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