बहुत खूब.. गलेनी की जात का मेला याद आ गया.. बचपन में खूब आनंद लिया करते थे ठोडो का.. साथ में डर भी लगता था शरी से, कहीं हमारी ओर न आ जाए।।
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बहुत खूब.. गलेनी की जात का मेला याद आ गया.. बचपन में खूब आनंद लिया करते थे ठोडो का.. साथ में डर भी लगता था शरी से, कहीं हमारी ओर न आ जाए।।