पिता होने का अनुभव हमें तीन चरणों में मिलता है पुत्र बनकर,, पिता बनकर, और दादा/पोते के रूप में,हर हाल में पिता पूज्यनीय ही है,हर पुत्र को पिता पर गर्व करना अच्छा संकेत है! और वह भी आज के परिवेश में! सादर अभिवादन सहित।
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पिता होने का अनुभव हमें तीन चरणों में मिलता है पुत्र बनकर,, पिता बनकर, और दादा/पोते के रूप में,हर हाल में पिता पूज्यनीय ही है,हर पुत्र को पिता पर गर्व करना अच्छा संकेत है! और वह भी आज के परिवेश में! सादर अभिवादन सहित।