प्रेरित करने हेतु धन्यवाद सर ।
मेरा विचार है कि मेरी जिन्दगी सिर्फ मेरी नहीं इसमें माता-पिता व परिवार भी सम्मिलित और परोक्ष रूप में समाज भी । मैं इनकी उपेक्षा कर नही साथ में ले आगे बढ़ना चाहती हूँ। हाँ इन सबसे मैं अपने अधिकार अवश्य मांगती रहूँगी पर छीनकर नहीं इनकी मनोवृत्ति बदलकर ।
बस इसी प्रयास में कभी -कभी मन हारने लगता ।
अवतरण से मेरा तात्पर्य किसी मसीहा से नहीं आप सब जैसे क्रांति के अग्रदूतों से है । आपकी कविताओं में क्रांति का बिगुल सुनाई भी पड़ता है जो मुझे प्रभावित भी करता है।
साभार धन्यवाद🙏
प्रेरित करने हेतु धन्यवाद सर ।
मेरा विचार है कि मेरी जिन्दगी सिर्फ मेरी नहीं इसमें माता-पिता व परिवार भी सम्मिलित और परोक्ष रूप में समाज भी । मैं इनकी उपेक्षा कर नही साथ में ले आगे बढ़ना चाहती हूँ। हाँ इन सबसे मैं अपने अधिकार अवश्य मांगती रहूँगी पर छीनकर नहीं इनकी मनोवृत्ति बदलकर ।
बस इसी प्रयास में कभी -कभी मन हारने लगता ।
अवतरण से मेरा तात्पर्य किसी मसीहा से नहीं आप सब जैसे क्रांति के अग्रदूतों से है । आपकी कविताओं में क्रांति का बिगुल सुनाई भी पड़ता है जो मुझे प्रभावित भी करता है।
साभार धन्यवाद🙏