Anamika Singh
Author
23 Aug 2022 05:58 PM
उस माँ की भी कुछ मज़बूरी रही होगी आखिर वो भी स्त्री है, मै आपकी इस बात से बिल्कुल सहमत हूँ 👍🏻,पर आजकल मजबूरी के कारण ऐसी संख्या ना के बराबर होती है जबकि ज्यादा संख्या शौकिया होते है। रचना पर अपने विचार रखने के लिए तहे-दिल बहुत-बहुत धन्यवाद 💐💐🙏🏻🙏🏻
‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ बहोत ही अंतर्मुख करती रचना बस उस माँ की भी कुछ मज़बूरी रही होगी आखिर वो भी स्त्री है 👍👍👍💐💐💐