आदरणीय सुंदर शब्द संयोजन किया है आदरणीय चिराग जी आपने आपकी रचना यूं तो पूरी ही सुंदर एवं पठनीय है लेकिन ये पंक्तियां मन को छू लेने वाली हैं। तेरा तो रूप श्माँश् ष्देवतुल्यष्ए जगत गुण जिसका गाती है।
मेरी भोली श्माँश् मुझे अब भीए काला टिका लगाती है।। ए आदरणीय हम अभिभूत हैं आपकी सहृदयता का। आपकी भावाव्यक्ति को अच्छा प्रोत्साहन मिल रहा है ये देखकर प्रसन्नता हुई। हम अभी नये.नये एक्टिव हुए हैं और आपके सहयोग हमारे मन को हर्षित करने वाला है। बहुत आभार! विश्वास है प्रतियोगिता से हटकर भी आपका सहयोग एवं मार्गदर्शन हमें निरंतर मिलता रहेगा। बहुत आभार।आपने, हम भी लिखना सीखना चाहते हैं। मार्गदर्शन की अपेक्षा आशीर्वाद और शुभकामनाओं का सदैव आकांक्षाी। प्रार्थना में याद रखने का सादर निवेदन
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मेरी भोली श्माँश् मुझे अब भीए काला टिका लगाती है।। ए आदरणीय हम अभिभूत हैं आपकी सहृदयता का। आपकी भावाव्यक्ति को अच्छा प्रोत्साहन मिल रहा है ये देखकर प्रसन्नता हुई। हम अभी नये.नये एक्टिव हुए हैं और आपके सहयोग हमारे मन को हर्षित करने वाला है। बहुत आभार! विश्वास है प्रतियोगिता से हटकर भी आपका सहयोग एवं मार्गदर्शन हमें निरंतर मिलता रहेगा। बहुत आभार।आपने, हम भी लिखना सीखना चाहते हैं। मार्गदर्शन की अपेक्षा आशीर्वाद और शुभकामनाओं का सदैव आकांक्षाी। प्रार्थना में याद रखने का सादर निवेदन