जिनका प्यार दिल और दिमाग दोनों ही जगह हो वह हक से भगवान से अपना प्यार मांग सकते हैं। या कह सकते हैं…. “वही शायद बेपनाह, बेइंतहा, बेहिसाब, मोहब्बत को मांग, जन्नते-ए-इश्क पाते हैं”… सही रहेगा?
जिनका प्यार दिल और दिमाग दोनों ही जगह हो वह हक से भगवान से अपना प्यार मांग सकते हैं। या कह सकते हैं….
“वही शायद बेपनाह, बेइंतहा, बेहिसाब, मोहब्बत को मांग, जन्नते-ए-इश्क पाते हैं”… सही रहेगा?