जहां तक मेरा मानना है ,यदि हम किसी दूसरी भाषा के शब्द हिंदी रचना में प्रयोग करते हैं तो रचना कुछ जटिल और दुरूह हो जाती है। वर्तमान में प्रायः रचनाकार हिंदी में उर्दू शब्दों का प्रयोग करते हैं , जहां तक हिंदी भाषा के अलंकरण का प्रश्न वहां तक तो यह प्रयास उचित प्रतीत होता है।
परंतु उन शब्दों के पर्याय हिंदी में उपलब्ध हैं तो उनका प्रयोग ही श्रेयस्कर है जिससे हिंदी भाषा की पवित्रता बनी रहती है। हिंदी भाषा को समृद्ध करने के लिए अनुसंधान की आवश्यकता है , जिसमें नवोन्मेषी उपयुक्त शब्दों का समावेश कर इसकी सुंदरता को निखारा जा सकता है।
मैं आपके कथन से भी सहमत हूं परंतु कुछ प्रचलित शब्दों का प्रयोग उचित है परंतु हमें हिंदी भाषा को अन्य भाषाओं के शब्दों का उपयोग कर संक्रमित होने से बचाना होगा। यह मेरा व्यक्तिगत विचार है और यह मेरा एक कवि या लेखक होने के नाते मेरा कर्त्तव्य हिंदी भाषा का संरक्षण एवं संवर्धन है। आपके विचारों का धन्यवाद !
जहां तक मेरा मानना है ,यदि हम किसी दूसरी भाषा के शब्द हिंदी रचना में प्रयोग करते हैं तो रचना कुछ जटिल और दुरूह हो जाती है। वर्तमान में प्रायः रचनाकार हिंदी में उर्दू शब्दों का प्रयोग करते हैं , जहां तक हिंदी भाषा के अलंकरण का प्रश्न वहां तक तो यह प्रयास उचित प्रतीत होता है।
परंतु उन शब्दों के पर्याय हिंदी में उपलब्ध हैं तो उनका प्रयोग ही श्रेयस्कर है जिससे हिंदी भाषा की पवित्रता बनी रहती है। हिंदी भाषा को समृद्ध करने के लिए अनुसंधान की आवश्यकता है , जिसमें नवोन्मेषी उपयुक्त शब्दों का समावेश कर इसकी सुंदरता को निखारा जा सकता है।
मैं आपके कथन से भी सहमत हूं परंतु कुछ प्रचलित शब्दों का प्रयोग उचित है परंतु हमें हिंदी भाषा को अन्य भाषाओं के शब्दों का उपयोग कर संक्रमित होने से बचाना होगा। यह मेरा व्यक्तिगत विचार है और यह मेरा एक कवि या लेखक होने के नाते मेरा कर्त्तव्य हिंदी भाषा का संरक्षण एवं संवर्धन है। आपके विचारों का धन्यवाद !