आपके सुझाव के लिए बहोत बहोत धन्यवाद मैं मराठी में ही लिखा करता हूँ पर हिंदी उर्दू से बेहद लगाव है और सभी शब्दो के चयन के पहले उर्दू हिंदी डिक्शनरी का प्रयोग भी करता हूं। सही मायने में उर्दू में हिंदी का प्रयोग या फिर उल्टा हिंदी रचना में उर्दू का प्रयोग अभी मराठी कलम में हिंदी अंग्रेजी के शब्दप्रयोग बहोत से कवी लेखक करते है इसमें भाषा समृद्ध होते रहती है। भाषा का आदान प्रदान भी साहित्य संपदा के लिए विशेष योगदान का हिस्सा है। आपका बहोत बहोत शुक्रिया 🙏🙏🙏
जहां तक मेरा मानना है ,यदि हम किसी दूसरी भाषा के शब्द हिंदी रचना में प्रयोग करते हैं तो रचना कुछ जटिल और दुरूह हो जाती है। वर्तमान में प्रायः रचनाकार हिंदी में उर्दू शब्दों का प्रयोग करते हैं , जहां तक हिंदी भाषा के अलंकरण का प्रश्न वहां तक तो यह प्रयास उचित प्रतीत होता है।
परंतु उन शब्दों के पर्याय हिंदी में उपलब्ध हैं तो उनका प्रयोग ही श्रेयस्कर है जिससे हिंदी भाषा की पवित्रता बनी रहती है। हिंदी भाषा को समृद्ध करने के लिए अनुसंधान की आवश्यकता है , जिसमें नवोन्मेषी उपयुक्त शब्दों का समावेश कर इसकी सुंदरता को निखारा जा सकता है।
मैं आपके कथन से भी सहमत हूं परंतु कुछ प्रचलित शब्दों का प्रयोग उचित है परंतु हमें हिंदी भाषा को अन्य भाषाओं के शब्दों का उपयोग कर संक्रमित होने से बचाना होगा। यह मेरा व्यक्तिगत विचार है और यह मेरा एक कवि या लेखक होने के नाते मेरा कर्त्तव्य हिंदी भाषा का संरक्षण एवं संवर्धन है। आपके विचारों का धन्यवाद !
जी जी आपका भी बहोत बहोत शुक्रिया एक उचित मार्गदर्शन के लिए हर भाषा का संरक्षण जरुरी है आखिर भारत की विभिन्नता में एकता जो है वो हमें समृद्ध बनाती है हम जरूर इस पर अमल करेंगे फिर से साधुवाद🙏🙏
वर्तमान परिपेक्ष्य में पुस्तकों की उपयोग एवं महत्व पर प्रकाश डालती अतिसुंदर प्रश्नवाचक प्रस्तुति !
आपने अपनी प्रस्तुति में “अथांग” एवं “आमुलाग्र” शब्दों का प्रयोग किया है , जो मराठी भाषा के शब्द हैं। कृपया इस विषय में ध्यान रखें।
धन्यवाद !🌷