मै इस रचना के माध्यम से सरहद पर रह रहे जवानों के परिवार को शत-शत शत नमन करती हूँ। जो अपने कितने पर्व त्योहार अकेले मनाकर देश सेवा मे रहने वाले अपने पति , अपने बेटे,अपने पिता को देश सेवा के लिए हौसलाअफजाई करती है।हमारे और देश के लिए अपनी खुशियाँ त्याग देती है और अपनी खुशियो से पहले देश को रखती है। फिर से उन्हे शत-शत नमन।
मै इस रचना के माध्यम से सरहद पर रह रहे जवानों के परिवार को शत-शत शत नमन करती हूँ। जो अपने कितने पर्व त्योहार अकेले मनाकर देश सेवा मे रहने वाले अपने पति , अपने बेटे,अपने पिता को देश सेवा के लिए हौसलाअफजाई करती है।हमारे और देश के लिए अपनी खुशियाँ त्याग देती है और अपनी खुशियो से पहले देश को रखती है। फिर से उन्हे शत-शत नमन।