संदीप सागर (चिराग)
Author
24 Jun 2022 08:14 AM
बहुत बहुत आभार
पिता को समर्पित यह रचना निश्चय ही उस महामानव की कल्पना है जिसे उसका पुत्र अपने कल्पना के संसार में बसाए रखता है! वह अपने पिता को दुनिया में सबसे अधिक सामर्थ्य वान समझते हुए हर तरह की उम्मीद/फरियाद लेकर उसके निराकरण की आशा रखता है!