संदीप सागर (चिराग)
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24 Jun 2022 08:16 AM
बहुत बहुत आभार
जब जाना ही था तो चुपके से यह राज मुझे बतला देते
दुनियादारी की समझ जरा कुछ तो मुझ को सिखला देते । बहुत ही मार्मिक भाव।