Prabhudayal Raniwal
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10 Jun 2022 07:14 AM
आभार आपका…. शुक्रिया!
पिता का आशीष रहा है सदा मुझपर।
पिता नहीं है- उनका साया है मुझपर। बहुत ही सुंदर वर्णन सर।