डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
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8 Jun 2022 06:38 PM
धन्यवाद जी।
बहोत खास..! विचारों के साहित्य को व्याकरण में नहीं बाँध सकते और आजाद सोच को कोई रोक नहीं सकते। देखो ये भी एक कविता बन गयी। सूंदर लिखा