प्रियजन आपकी रचना को पढ़ा ही नहीं बल्कि अपने ह्रदय में भी विशेष जगह दी है। पिता सच्च में कायनात है पूरी दूनिया है । कृपा अगर नहीं पढ़ी है तो”मेरा गुरूर है पिता”रचना पढ़कर कृतार्थ करें।
प्रियजन आपकी रचना को पढ़ा ही नहीं बल्कि अपने ह्रदय में भी विशेष जगह दी है। पिता सच्च में कायनात है पूरी दूनिया है ।
कृपा अगर नहीं पढ़ी है तो”मेरा गुरूर है पिता”रचना पढ़कर कृतार्थ करें।