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बहुत ही सुन्दर रचना है, दो शब्द इस प्रकार आज के दिन पर्यावरण दिवस मनाते हैं चाहे वे नेता हो या अधिकारी
चाहे वे नेता के चमचे हो या भ्रष्टाचारी
आज के दिन एक वृक्ष लगा कर मानों उपकार करते हैं तरह-तरह के फोटो खींचवा कर अन्य ग्रुपो में डालकर अपने को महान समझते है।
आज के बाद उस पौधे में पानी डालने वाला कोई नही होता वह पौधा भी तीसरे दिन मुरझा कर रोता चौथे दिन वह पौधा सूख कर यहाँ से विदा होता।

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जी बिल्कुल ठीक कहा आपने।पेड़ बेचारे मुरझाकर सुरधाम चले जाते है लेकिन नेताजी की पेड़ वाली फोटो सोशल मीडिया पर हरियाली का प्रसार करती रहती है!

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