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25 Oct 2016 12:40 PM

कवयित्री दीप शिखा सागर जी ! जितनी लम्बी आपकी ग़ज़ल :………. शिखा अब दिल डोली तैयार रखो ।
उतनी ही अधिक सुंदर और सरस भी आपने अपने भावों को शब्दायितकिया है ।
—— जितेन्द्रकमल आनंद , रामपुर ( उ प्र )

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