मनहरण मनहरण
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19 Oct 2016 03:18 PM
बहुत बहुत धन्यवाद, महोदय।
जुबां पर रह नहीँ पाती …….
अगर आपको जचे तो ऐसा भी कर सकते हैं ……
बहुत बढिया कविता ….बधाई